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किम सोवल की कविताएँ

दिविक रमेश

प्रकाशक : साहित्य एकेडमी प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :108
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17025
आईएसबीएन :9789355485502

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किम सोवल की कविता लोकगीतों यानी पारंपरिक लोक गीतों (मिन्यो) और लोक परिदृश्य से भरपूर हैं, इस कारण उन्हें कोरिया के बईसवर्थ के रूप में भी जाना जाता है। अंग्रेज़ी में उनकी कविताओं के अनुवादक जेहियुन जे. किम के शब्दों में, “उसके प्रति न्याय के लिए, उसे कोरिया का वर्डसवर्थ बनने का हक़ है, क्योंकि उसने पहली बार संप्रेषणीयता के लिए सहज-सरल भाषा को काम में लाने और प्रकृति के चित्रण में न केवल सौंदर्य की दृष्टि से बल्कि जीवन की पहचान और सच्चाई को लाने के लिए गहरी और जागरूक रुचि विकसित की”, कुछ विद्वानों ने उनकी कविता की तुलना रॉबर्ट बर्स और डब्ल्यू .बी.येट्स की कविता से की है – उनके कार्यों में राष्ट्रवाद मिथक और लोककथाओं के बीच संबंध के संदर्भ में कुछ समानताओं के आधार पर।

मात्र 32 वर्ष की आयु प्राप्त कोरिया के सर्वाधिक लाडले कवि किम सोवल को छोटी और गहरी कविताएँ रचने में बड़ी महारत हासिल थी। उनकी कविताएँ दुख, आक्रोश, उदासीनता, आत्म-तिरस्कार, अलगाव और अनुपस्थिति के साथ संयुक्त जटिल भावनाओं को प्रकट करती हैं। वह उस क्षितिज पर रहते थे जहाँ परंपरा और आधुनिकता एक साथ जुड़ते थे।

कोरियाई साहित्य को हिंदी के माध्यम से सामने लाने वालों में दिविक रमेश का नाम सर्वोपरि है। वह दक्षिण कोरिया में एक लंबे समय तक रहे हैं और कोरियाई साहित्य, संस्कृति, समाज, दर्शन आदि के गहन अध्येता हैं। अनुवाद के रूप में उनकी यह अद्यतन कृति भी पाठकों को अवश्य पसंद आएगी, ऐसा विश्वास सहज ही किया जा सकता है।

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